विवरण
साईं नाथ के आदेश पर, यह पुस्तक सबकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए, शुद्ध हिंदी में नहीं, बल्कि हिन्दुस्तानी, यानी कि जटिल शब्दों से परहेज करते हुए, सरल व स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत की गई है, ताकि सभी सरलता से बाबा के शिक्षाओं को समझ पाएँ। इस व्याख्या में पाठक हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेज़ी का मिश्रण पाएंगे।
'समर्पण' एक वास्तविक जीवन की मंत्रमुग्ध कर देने वाली यात्रा का अनुसरण करती है। यह ग्रंथ एक सांसारिक अस्तित्व का नेतृत्व करने से लेकर सर्वोच्च ईश्वर, हमारे आध्यात्मिक गुरु, शिरडी साईं बाबा की अचूक शक्ति का अनुभव देता है।
शिरडी के श्री साईं बाबा को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह सर्वव्यापी होते हुए एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपने प्रिय भक्तों से संवाद करते हैं।
समर्पण द्वारा बाबा प्रशिक्षित करते हैं, कि किसी को वेदों व पुराणों में पारंगत होने की आवश्यकता नहीं है; ना ही वे, किसी शैक्षिक योग्यता या विशेष जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग से संबंधित है। एक अनंत शक्ति, समान रूप से पूरी सृष्टि में व्याप्त है। उस निराकार और सर्वव्यापी ईश्वर को समर्पण करें एवं शुद्ध चेतना के आनंद का रस पिएं। अनंत शांति भीतर निवास करेगी। मन को मौन कर, मानव जन्म के सर्वोच्च व वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करें।
साईनाथ ने स्वयं हमें असत्य से सत्य, भय से निर्भय, बंधन से मुक्ति, द्वैत से अद्वैत, अपूर्ण से संपूर्ण, अनेक से एक, भ्रम से वास्तविक, आकार से निराकार, अंत से अनंत, मृत्यु से अमरता, जीव से शिव, तक पहुँचाया व परिपक्व किया।
साईनाथ ने मुझे विशेष रूप से निर्देश दिया है कि इस पुस्तक में उनका कोई भी चित्र न डाला जाए। वे चाहते हैं सब उनके निराकार रूप का अनुभव करें। यह आध्यात्मिक ग्रंथ अविश्वसनीय चमत्कारों