नमस्ते, मेरा नाम अंकित किरार है, मैं अपने गाँव टौरी टिगरा में रहता हूँ और आज गरीब किसान की कहानी (Garib kisan ki kahani) लिखने जा रहा हूँ। आप सोच रहे होंगे, सडनली अंकित के मन में गरीब किसान की कहानी (Garib kisan ki kahani) लिखने का विचार कैसे आ गया। चलो यह भी बताता हूँ।
जब मैं इन्टरनेट पर कीवर्ड (keyword) रीसर्च कर रहा था, तो मेरी नजर एक की-वर्ड पर पड़ी, जो है 'गरीब किसान की कहानी (Garib kisan ki kahani)'। इसे भारत में साड़े आठ हजार बार सर्च किया गया था। ऐसा नहीं है कि लोग इसे बस अभी सर्च कर रहे हैं, यह हर समय सर्च किया जा रहा है।
जब इतने सारे लोग गरीब किसान के बारे में जानना चाह रहें हैं तो मैंने सोचा कि गरीब किसान की कहानी (Garib kisan ki kahani) जरूर लिखना चाहिए, ताकि लोग असली किसान को जान सकें।
तो आपके लिए प्रस्तुत है गरीब किसान की असली कहानी (Garib Kisan Ki Kahani) ...
1.
पटवारी, भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है। कितना भी सच्चा व्यक्ति हो, पटवारी होने के बाद वह करप्ट हो ही जाता है। मैंने आजतक ईमानदार पटवारी नहीं देखा है। पटवारी का सबसे ज्यादा काम किसानों से रिलेटेड ही होता है। किसान होते ही भोले-भाले से हैं, किसानों को और दुनिया से मतलब नहीं होता है, वह अपने काम में ही लगे रहते हैं, थोड़ा डरते भी हैं। इसी कारण पटवारी का डर खत्म हो जाता है और वह खुल कर रिस्वत लेता है।
यह कहानी इन्ही दो किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। यह मेरे सामने घटित हुई है। यह उस समय की बात है, जब मेरी उम्र पन्द्रह साल थी।
वर्ष 2015-16 में, मैं विदिशा में रहता था। वहाँ मेरी कक्षा 11वीं-12वीं की पढ़ाई चल रही थी। मैं हर दिन स्कूल-कोचिंग जाता था। पर मुझे घर की याद आती थी, विदिशा में रूकना मेरे लिए बहुत कठिन था। यही सोचा करता था कि कब रविवार आए और मैं गाँव जाऊँ।